
बिहार विधानसभा सत्र के चौथे दिन एक अप्रत्याशित दृश्य सामने आया — सत्र अंदर था, दंगल बाहर। AIMIM विधायक अख्तरुल ईमान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन JDU विधायक खालिद अनवर को शायद लगा कि पोस्टर के जरिए लोकतंत्र पर हमला हो रहा है!
उन्होंने जैसे ही ईमान का पोस्टर छीना, लोकतंत्र ने लोट-पोट होकर कहा — “भाई, पहले बहस तो कर लो!”
“आप विरोध क्यों कर रहे हैं?” vs “आप जवाब क्यों नहीं दे रहे?”
इस भिड़ंत की शुरुआत कुछ इस तरह हुई जैसे टीवी डिबेट में होती है —
खालिद अनवर: “आप विरोध क्यों कर रहे हैं?”
अख्तरुल ईमान: “आप जवाब क्यों नहीं दे रहे?”
मतलब सवाल वही था, बस टोन में लोकतांत्रिक टशन था। एक ने सरकार की तारीफ की, दूसरे ने उस पर तीखा सवाल दागा — और परिणाम? लोकतंत्र की जुबान से बाहर आकर धक्का-मुक्की में तब्दील हो गया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘माननीय vs माननीय’ क्लैश
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। कहीं लोग हँसी में हैं, तो कहीं गुस्से में। वीडियो में साफ दिख रहा है कि दोनों विधायक अपने-अपने ‘लोकतांत्रिक अधिकारों’ को एक-दूसरे की छाती पर रखने की कोशिश कर रहे हैं।
पक्ष-विपक्ष का रिएक्शन: कोई इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहा, कोई ड्रामा
विपक्ष कह रहा है कि ये घटना “अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है”।
JDU का कहना है — “AIMIM को सरकार से एलर्जी है, इलाज चाहिए, विरोध नहीं!”

मतलब लोकतंत्र का ये एपिसोड Netflix पर नहीं, बिहार के गलियों में लाइव हो रहा है।
पोस्टर की राजनीति: मुद्दे की बात या बहाने की बुनियाद?
AIMIM विधायक कह रहे हैं कि सरकार अल्पसंख्यकों की अनदेखी कर रही है। JDU विधायक दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार तो ‘Minority Messiah’ हैं।
अब जनता सोच रही है — “अगर पोस्टर छीना जा सकता है, तो क्या भरोसा कि अगली बार माइक न छीन लिया जाए?”
क्या बिहार विधानसभा अब WWE Raw की स्टेज बन चुकी है?
लोकतंत्र को सड़क पर लाकर पटक देना नया ट्रेंड बन चुका है। बहस और विरोध के नाम पर अब विधायक खुद फिजिकल प्रेज़ेंस दिखा रहे हैं — वो भी बिना क्वेश्चन ऑवर के।
अब देखना ये है कि विधानसभा अध्यक्ष क्या रेफरी की भूमिका निभाएंगे या इस शो को री-टेलीकास्ट माना जाएगा?
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